एनीमिया मुक्त भारत अभियान (Anemia Free Indian Campaign) भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य देश में एनीमिया की व्यापक समस्या को जड़ से समाप्त करना है। एनीमिया जिसमें शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं या हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है भारत में एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (2019-2021) के अनुसार, 67.1% बच्चे (6-59 महीने), 59.1% किशोर लड़कियाँ (15-19 वर्ष) और 57.2% प्रजनन आयु की महिलाएँ (15-49 वर्ष) एनीमिया से प्रभावित हैं। यह अभियान 2018 में शुरू किया गया था, जिसका लक्ष्य छह लाभार्थी समूहों – बच्चे, किशोर, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएँ और प्रजनन आयु की महिलाएँ – के बीच एनीमिया की व्यापकता को कम करना है।

एनीमिया मुक्त भारत अभियान का उद्देश्य
एनीमिया मुक्त भारत अभियान 6x6x6 रणनीति पर आधारित है, जिसमें छह लाभार्थी समूह, छह हस्तक्षेप, और छह संस्थागत तंत्र शामिल हैं। इसका मुख्य उद्देश्य हर साल एनीमिया की व्यापकता में 3% की कमी लाना है। यह अभियान न केवल आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया (Iron Deficiency Anemia) पर ध्यान देता है,बल्कि अन्य गैर-पोषण संबंधी कारणों जैसे मलेरिया, सिकल सेल रोग और फ्लोरोसिस को भी संबोधित करता है।
Anemia Free Indian Campaign की मुख्य रणनीतियाँ
एनीमिया मुक्त भारत अभियान की सफलता छह प्रमुख हस्तक्षेपों पर निर्भर करती है:
- आयरन फोलिक एसिड (IFA) पूरकता: बच्चों, किशोरों, और महिलाओं को आयरन और फोलिक एसिड की गोलियाँ प्रदान की जाती हैं। गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान कम से कम 180 IFA गोलियाँ दी जाती हैं।
- कृमिनाशन (Deworming): राष्ट्रीय कृमिनाशन दिवस (10 फरवरी और 10 अगस्त) के तहत 1-19 वर्ष की आयु के बच्चों और किशोरों के लिए साल में दो बार कृमिनाशन किया जाता है। गर्भवती महिलाओं को भी दूसरी तिमाही में कृमिनाशन की सुविधा दी जाती है।
- व्यवहार परिवर्तन संचार (BCC): साल भर चलने वाले जागरूकता अभियानों के माध्यम से लोगों को आयरन युक्त भोजन, उचित शिशु आहार प्रथाओं और IFA गोलियों के सेवन के महत्व के बारे में शिक्षित किया जाता है। इसमें सोशल मीडिया, रेडियो और सामुदायिक स्तर पर आयोजित कार्यक्रम शामिल हैं।
- डिजिटल परीक्षण और उपचार: डिजिटल हीमोग्लोबिनोमीटर का उपयोग करके एनीमिया का परीक्षण किया जाता है, जिससे त्वरित निदान और उपचार संभव हो पाता है।
- पोषण युक्त खाद्य पदार्थ: सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) और अन्य सरकारी योजनाओं जैसे PM-POSHAN और ICDS के तहत आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन B12 से युक्त फोर्टिफाइड चावल और गेहूँ वितरित किए जाते हैं।
- गैर-पोषण संबंधी कारणों का समाधान: मलेरिया, सिकल सेल रोग और फ्लोरोसिस जैसे गैर-पोषण संबंधी कारणों को लक्षित करने के लिए विशेष क्षेत्रों में हस्तक्षेप किए जाते हैं।
Anemia Free Indian Campaign का प्रभाव
एनीमिया मुक्त भारत अभियान ने कई राज्यों में IFA पूरकता की कवरेज में सुधार किया है। स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (HMIS) डेटा (2017-2020) के अनुसार, कई राज्यों में गर्भवती महिलाओं और बच्चों के बीच IFA वितरण में वृद्धि देखी गई है। इसके अलावा, मणिपुर जैसे राज्यों में “एनीमिया फ्री मणिपुर” जैसे स्थानीय अभियान शुरू किए गए हैं, जहाँ स्कूलों, राहत शिविरों और स्वास्थ्य केंद्रों में T3 (Test, Treat, Talk) शिविर आयोजित किए गए।
हालांकि, चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं। IFA गोलियों का अनुपालन दर केवल 30% के आसपास है, जिसका मुख्य कारण अपर्याप्त जागरूकता और आपूर्ति श्रृंखला में रुकावटें हैं। इसके अलावा, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण में हीमोग्लोबिन मापने के लिए उपयोग की जाने वाली कैपिलरी ब्लड सैंपलिंग विधि को गलत माना गया है और अब डायट एंड बायोमार्कर्स सर्वे (DABS-I) की ओर रुख किया जा रहा है।
सामुदायिक भागीदारी और जागरूकता
एनीमिया मुक्त भारत अभियान की सफलता सामुदायिक भागीदारी पर निर्भर करती है। स्कूलों में पोषण और एनीमिया पर चर्चा के लिए सुबह की सभाओं का उपयोग किया जाता है, और राष्ट्रीय पोषण सप्ताह, राष्ट्रीय कृमिनाशन दिवस और विश्व स्वास्थ्य दिवस जैसे अवसरों पर विशेष जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं। ASHA कार्यकर्ता, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और स्वयं सहायता समूह (SHG) घर-घर जाकर लोगों को शिक्षित करते हैं।
महाराष्ट्र में, “एनीमिया मुक्त भारत अभियान: रक्ताची करून बॅटरी फुल्ल, ॲनिमियाचा डब्बा गुल्ल” जैसे नारे के साथ जागरूकता फैलाई जा रही है। श्योपुर, मध्य प्रदेश में, जिला प्रशासन ने शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला व बाल विकास विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर इस अभियान को प्रभावी बनाने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
चुनौतियाँ और भविष्य की दिशा
एनीमिया मुक्त भारत अभियान के सामने कई चुनौतियाँ हैं, जैसे:
- कम जागरूकता: किशोरों और पुरुषों में एनीमिया के बारे में जानकारी का अभाव है। एक अध्ययन में पाया गया कि अधिकांश किशोरों को “एनीमिया” शब्द का अर्थ ही नहीं पता।
- आपूर्ति श्रृंखला में रुकावटें: IFA गोलियों और कृमिनाशन दवाओं की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है।
- पुरुषों में एनीमिया: पुरुषों में एनीमिया (25% वयस्क पुरुष और 31% किशोर लड़के) को राष्ट्रीय स्वास्थ्य आँकड़ों में कम महत्व दिया गया है।
इन चुनौतियों से निपटने के लिए, सरकार डिजिटल तकनीकों, जैसे AMB डैशबोर्ड (www.anemiamuktbharat.com), और सामुदायिक स्तर पर सामाजिक व्यवहार परिवर्तन संचार (SBCC) पर जोर दे रही है। साथ ही, सिकल सेल रोग जैसे आनुवंशिक रक्त विकारों को संबोधित करने के लिए राष्ट्रीय सिकल सेल रोग उन्मूलन मिशन भी शुरू किया गया है, जो 2047 तक इस बीमारी को समाप्त करने का लक्ष्य रखता है।
निष्कर्ष
एनीमिया मुक्त भारत अभियान (Anemia Free Indian Campaign) एक दूरदर्शी पहल है जो न केवल एनीमिया की रोकथाम और उपचार पर ध्यान देती है, बल्कि समाज में पोषण और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता भी बढ़ाती है। यह अभियान बच्चों, किशोरों, और महिलाओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के साथ-साथ देश की आर्थिक उत्पादकता को भी बढ़ाने में योगदान देता है। प्रत्येक भारतीय की भागीदारी – चाहे वह जागरूकता फैलाने में हो, स्क्रीनिंग में हिस्सा लेने में हो, या IFA गोलियों का नियमित सेवन करने में हो – इस अभियान को सफल बनाने के लिए आवश्यक है। आइए, हम सब मिलकर एक एनीमिया मुक्त, स्वस्थ भारत का निर्माण करें।