Jal Ganga Sanvardhan Abhiyan Reel Making Pratiyogita : भारत की प्राचीन संस्कृति और वैदिक साहित्य में जल को जीवन का आधार माना गया है। ऋग्वेद का नदी सूक्त नदियों के संरक्षण और संवर्धन की भावना को दर्शाता है, जो हमें जल स्रोतों के महत्व और उनकी रक्षा की जिम्मेदारी सिखाता है। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा शुरू किया गया जल गंगा संवर्धन अभियान इसी वैदिक परंपरा को जीवंत करता है, जिसका उद्देश्य नदियों, तालाबों, कुओं और बावड़ियों जैसे जल स्रोतों का संरक्षण और पुनर्जनन है। इस अभियान को जन-आंदोलन बनाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार और MP MyGov ने जल गंगा संवर्धन अभियान रील मेकिंग प्रतियोगिता शुरू की है, जो जल संरक्षण के संदेश को रचनात्मक और आकर्षक तरीके से जन-जन तक पहुँचाने का एक अनूठा प्रयास है।

Jal Ganga Sanvardhan Abhiyan Reel Making Pratiyogita : : एक परिचय
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जल संरक्षण को एक जन-आंदोलन बनाने के लिए जल गंगा संवर्धन अभियान की शुरुआत की है। यह अभियान 30 मार्च 2025 से शुरू होकर 30 जून 2025 तक चलेगा, जो 90 दिनों तक प्रदेश के सभी 52 जिलों में जल स्रोतों के संरक्षण और पुनर्जनन के लिए समर्पित होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा है, “जल से ही हमारा कल सुरक्षित है। यह प्रकृति का अमूल्य उपहार है, जिसका संरक्षण और संवर्धन करना हम सभी की जिम्मेदारी है।” यह अभियान न केवल जल स्रोतों की सफाई और जीर्णोद्धार पर केंद्रित है बल्कि यह जनता को जल संरक्षण के प्रति जागरूक करने और सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देने का भी प्रयास करता है।
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अभियान के प्रमुख उद्देश्य
- जल स्रोतों का संरक्षण और पुनर्जनन: नदियों, तालाबों, कुओं, बावड़ियों और अन्य जल संरचनाओं की सफाई, गहरीकरण और जीर्णोद्धार।
- भूजल स्तर में सुधार: वर्षा जल संचयन, चेक डैम, और तालाब निर्माण के माध्यम से भूजल स्तर को बढ़ाना।
- जन सहभागिता: सामुदायिक भागीदारी और श्रमदान के माध्यम से जल संरक्षण को जन-आंदोलन बनाना।
- सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजन: गंगा दशहरा (5 जून) और बट सावित्री पूर्णिमा जैसे अवसरों पर जल पूजन, पौधारोपण और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन।
- प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग: जल संरचनाओं के आसपास हरित क्षेत्र (ग्रीन बेल्ट) बनाना और गहरीकरण से निकली मिट्टी को किसानों के लिए उपलब्ध कराना।
अभियान की उपलब्धियाँ
अभियान की शुरुआत से अब तक मध्य प्रदेश में 932 अमृत सरोवरों का संरक्षण और संवर्धन किया गया है, और सरकार का लक्ष्य 1000 अमृत सरोवरों का निर्माण करना है। इसके अलावा 31,800 से अधिक खेत तालाब और 8200 से अधिक जल इकाइयों का संरक्षण किया गया है। बालाघाट जिला 561 खेत तालाबों के साथ इस अभियान में अग्रणी है।
Jal Ganga Sanvardhan Abhiyan Reel Making Pratiyogita
जल संरक्षण के इस महत्वपूर्ण संदेश को जन-जन तक पहुँचाने के लिए MP MyGov ने जल गंगा संवर्धन अभियान रील मेकिंग प्रतियोगिता शुरू की है। यह प्रतियोगिता न केवल रचनात्मकता को प्रोत्साहित करती है, बल्कि यह जल संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने का एक आधुनिक और प्रभावी तरीका है। प्रतियोगिता के तहत, प्रतिभागी 60-90 सेकंड की छोटी, आकर्षक रील बनाकर जल संरक्षण का संदेश दे सकते हैं और आकर्षक पुरस्कार जीत सकते हैं।
प्रतियोगिता का उद्देश्य
- जल संरक्षण के प्रति जागरूकता: रील के माध्यम से नदियों, तालाबों, और अन्य जल स्रोतों के संरक्षण का महत्व लोगों तक पहुँचाना।
- जन सहभागिता: आम नागरिकों, विशेषकर युवाओं, को इस अभियान का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित करना।
- रचनात्मक अभिव्यक्ति: डिजिटल मंचों पर रचनात्मक और प्रभावी सामग्री के माध्यम से जल संरक्षण को जन-आंदोलन बनाना।
प्रतियोगिता की थीम
प्रतियोगिता की थीम “जन सहभागिता से जल स्रोतों का संवर्धन एवं संरक्षण” है। प्रतिभागी निम्नलिखित विषयों पर रील बना सकते हैं:
- जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत जल संरक्षण से जुड़ी गतिविधियाँ, जैसे तालाबों की सफाई, चेक डैम निर्माण और पौधारोपण।
- नदियों, तालाबों, कुओं और बावड़ियों का संरक्षण।
- जल संसाधनों के पुनर्जनन के लिए किए गए प्रयास, जैसे वर्षा जल संचयन और भूजल स्तर में सुधार।
रील का प्रारूप
- अवधि: 60 से 90 सेकंड।
- फॉर्मेट: HD क्वालिटी, पोर्ट्रेट मोड।
- भाषा: सरल हिंदी या स्थानीय भाषा।
- विशेषताएँ: रील में म्यूजिक, टेक्स्ट और विज़ुअल इफेक्ट्स का उपयोग हो सकता है, लेकिन सामग्री सकारात्मक और सभ्य होनी चाहिए।
- विवरण: रील के साथ स्थान, तारीख, और एक संक्षिप्त विवरण अनिवार्य है।
भाग लेने की प्रक्रिया
- रील बनाएँ: दिए गए थीम पर 60-90 सेकंड की रील तैयार करें।
- सोशल मीडिया पर साझा करें: रील को X, Facebook, YouTube, या Instagram पर अपलोड करें और MP MyGov को टैग करें।
- लिंक सबमिट करें: रील का लिंक mp.mygov.in पर अपनी जानकारी (नाम, पता, मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी) के साथ सबमिट करें।
- पंजीकरण: प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए mp.mygov.in पर पंजीकरण अनिवार्य है।
पुरस्कार
- प्रथम पुरस्कार: ₹15,000
- द्वितीय पुरस्कार: ₹10,000
- तृतीय पुरस्कार: ₹5,000
प्रतियोगिता के नियम
- सभी आयु वर्ग के नागरिक, जैसे छात्र, युवा, प्रोफेशनल्स, ब्लॉगर्स, और सामाजिक संगठन, भाग ले सकते हैं।
- रील मूल और हाल ही में बनाई गई होनी चाहिए।
- रील की अवधि 60-90 सेकंड होनी चाहिए।
- रील में कोई तीसरे पक्ष की बौद्धिक संपदा का उल्लंघन नहीं होना चाहिए।
- प्रविष्टियाँ केवल ऑनलाइन स्वीकार की जाएंगी।
- चयन विशेषज्ञ पैनल द्वारा किया जाएगा, और उनका निर्णय अंतिम होगा।
- पुरस्कृत प्रविष्टियों को मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग किसी भी रूप में उपयोग कर सकता है।
- प्रचारक लिंक वाली प्रविष्टियाँ रद्द कर दी जाएंगी।
- रील HD क्वालिटी की होनी चाहिए।
- प्रतिभागी को रील के साथ स्थान, तारीख, और विवरण जोड़ना होगा।
जल संरक्षण का महत्व
प्राचीन भारतीय परंपरा में जल
भारतीय संस्कृति में जल को हमेशा से पवित्र और जीवन का आधार माना गया है। ऋग्वेद में नदी सूक्त नदियों को माता के रूप में पूजता है, जो जीवन को पोषित करती हैं। वैदिक साहित्य में जल की शुद्धता, संरक्षण और इसके उपयोग की बात बार-बार कही गई है। नदियाँ, जैसे गंगा, नर्मदा, और क्षिप्रा, न केवल जल स्रोत हैं, बल्कि ये हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर भी हैं।
आज, जब जल संकट एक वैश्विक चुनौती बन चुका है, जल गंगा संवर्धन अभियान जैसे प्रयास हमें अपनी जड़ों से जोड़ते हैं और जल संरक्षण की प्राचीन परंपरा को पुनर्जनन के साथ आधुनिक तकनीकों से जोड़ते हैं।
जल संकट की वर्तमान स्थिति
विश्व जलवायु परिवर्तन, अनियंत्रित शहरीकरण, और प्रदूषण के कारण जल संकट गहरा रहा है। मध्य प्रदेश में भी कई क्षेत्रों में भूजल स्तर तेजी से घट रहा है। नदियाँ और तालाब प्रदूषण और अतिक्रमण का शिकार हो रहे हैं। ऐसे में, जल गंगा संवर्धन अभियान एक समयोचित पहल है, जो न केवल जल स्रोतों को पुनर्जनन करती है, बल्कि समाज को जल संरक्षण के प्रति जागरूक भी करती है।
जल संरक्षण के लाभ
- भूजल स्तर में वृद्धि: तालाबों और चेक डैम के निर्माण से वर्षा जल का संचयन होता है, जो भूजल स्तर को बढ़ाता है।
- कृषि और उद्योगों के लिए जल: जल संरक्षण से किसानों और उद्योगों को पर्याप्त जल उपलब्ध होता है, जो आर्थिक विकास में योगदान देता है।
- जैव-विविधता संरक्षण: स्वच्छ जल स्रोत जलीय जीवों और पर्यावरण को संरक्षित करते हैं।
- सामुदायिक एकता: जल संरक्षण के लिए सामुदायिक भागीदारी सामाजिक एकता को बढ़ावा देती है।
रील मेकिंग: एक रचनात्मक दृष्टिकोण
रील मेकिंग आज के डिजिटल युग में एक शक्तिशाली माध्यम है, जो कम समय में प्रभावी संदेश दे सकता है। जल गंगा संवर्धन अभियान रील मेकिंग प्रतियोगिता युवाओं और रचनात्मक व्यक्तियों को जल संरक्षण जैसे गंभीर मुद्दे को मनोरंजक और प्रेरणादायक तरीके से प्रस्तुत करने का अवसर देती है।
रील बनाने के लिए प्रेरणादायक विचार
- स्थानीय जल स्रोतों की कहानी: अपने क्षेत्र की नदी, तालाब, या बावड़ी की कहानी को रील के माध्यम से दर्शाएँ। उदाहरण के लिए, क्षिप्रा नदी के तट पर किए गए सफाई कार्यों को दिखाएँ।
- सामुदायिक भागीदारी: गाँव या शहर में जल संरक्षण के लिए किए गए श्रमदान या पौधारोपण की कहानी को हाइलाइट करें।
- वैदिक परंपरा का उल्लेख: ऋग्वेद के नदी सूक्त या जल के महत्व को रील में शामिल करें।
- पहले और बाद की तुलना: जल संरचना की सफाई या जीर्णोद्धार से पहले और बाद की स्थिति को दर्शाएँ।
- जलदूतों की कहानी: अभियान के तहत तैयार किए गए जलदूतों की प्रेरक कहानियों को साझा करें।
रील बनाने के टिप्स
- आकर्षक शुरुआत: रील की शुरुआत किसी रोचक तथ्य या दृश्य से करें, जैसे नदी का प्रदूषित पानी और उसकी सफाई की प्रक्रिया।
- संगीत और प्रभाव: स्थानीय या पारंपरिक संगीत का उपयोग करें जो भावनात्मक जुड़ाव बनाए।
- संक्षिप्त और स्पष्ट संदेश: 60-90 सेकंड में संदेश को स्पष्ट और प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करें।
- स्थानीयता का समावेश: स्थानीय भाषा, संस्कृति, और जल स्रोतों को शामिल करें ताकि रील प्रासंगिक लगे।
- कॉल टू एक्शन: रील के अंत में दर्शकों को जल संरक्षण में योगदान देने के लिए प्रेरित करें।
जल गंगा संवर्धन अभियान की गतिविधियाँ
अभियान के तहत मध्य प्रदेश में कई गतिविधियाँ आयोजित की जा रही हैं, जो रील मेकिंग के लिए प्रेरणा प्रदान कर सकती हैं:
- अमृत सरोवरों का निर्माण: 932 अमृत सरोवरों का संरक्षण और 1000 का लक्ष्य।
- जल संरचनाओं की सफाई: छतरपुर में संकट मोचन तालाब और रायसेन में तालाबों की सफाई जैसे कार्य।
- पौधारोपण: जल स्रोतों के आसपास हरित क्षेत्र बनाने के लिए पौधारोपण।
- जलदूतों का निर्माण: प्रत्येक गाँव से 2-3 व्यक्तियों को चुनकर 1 लाख जलदूत तैयार करना।
- सांस्कृतिक आयोजन: गंगा दशहरा और बट सावित्री पूर्णिमा पर जल पूजन और कलश यात्रा।
जल संरक्षण में जन सहभागिता
जल गंगा संवर्धन अभियान की सफलता जन सहभागिता पर निर्भर करती है। जबलपुर में 527 ग्राम पंचायतों में श्रमदान के माध्यम से तालाबों और नर्मदा तट की सफाई की गई। रीवा में प्राचीन बावड़ी में बावड़ी उत्सव का आयोजन हुआ। ये उदाहरण दर्शाते हैं कि सामुदायिक भागीदारी से जल संरक्षण को एक जन-आंदोलन बनाया जा सकता है।
आप कैसे योगदान दे सकते हैं?
- श्रमदान: अपने क्षेत्र में तालाबों, कुओं, या नदियों की सफाई में भाग लें।
- पौधारोपण: जल स्रोतों के आसपास पेड़ लगाएँ।
- जागरूकता: रील मेकिंग प्रतियोगिता में भाग लेकर जल संरक्षण का संदेश फैलाएँ।
- वर्षा जल संचयन: अपने घर या समुदाय में रूफ वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित करें।
भविष्य के लिए जल संरक्षण
जल गंगा संवर्धन अभियान केवल 90 दिनों का अभियान नहीं है, बल्कि यह एक दीर्घकालिक संकल्प है। यह हमें यह सिखाता है कि जल की एक-एक बूंद कीमती है। आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ और पर्याप्त जल सुनिश्चित करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। इस अभियान और रील मेकिंग प्रतियोगिता के माध्यम से, हम न केवल जल स्रोतों को पुनर्जनन कर रहे हैं, बल्कि एक ऐसी संस्कृति का निर्माण कर रहे हैं जो जल संरक्षण को जीवन का अभिन्न अंग बनाए।
निष्कर्ष
जल गंगा संवर्धन अभियान रील मेकिंग प्रतियोगिता एक ऐसा मंच है जो रचनात्मकता और सामाजिक जिम्मेदारी को जोड़ता है। यह हमें जल संरक्षण के प्रति जागरूक करने के साथ-साथ अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित करने का अवसर देता है। चाहे आप छात्र हों, युवा हों, या प्रोफेशनल, इस प्रतियोगिता में भाग लेकर आप जल संरक्षण के इस महान प्रयास का हिस्सा बन सकते हैं। आइए, हम सब मिलकर जल गंगा संवर्धन अभियान को सफल बनाएँ और एक हरे-भरे, जल से परिपूर्ण मध्य प्रदेश का निर्माण करें।
अपनी रील बनाएँ, MP MyGov को टैग करें और mp.mygov.in पर सबमिट करें। जल संरक्षण का संदेश फैलाएँ और पुरस्कार जीतने का मौका पाएँ